सीबीआई इस नेटवर्क के उन सदस्यों को तलाश रही है, जिनके जरियेे फर्जी सिम कंबोडिया, म्यांमार आदि दक्षिण पूर्वी एशिया के देशाें में भेजे जा रहे थे।एसटीएफ ने चित्रकूट में फर्जी सिम रैकेट का बृहस्पतिवार को भंडाफोड़ करते हुए छह लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी वोडाफोन आइडिया कंपनी के अधिकारियों से सांठगांठ कर फर्जी तरीके से पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) एजेंट बने थे। पीओएस की आईडी का प्रयोग कर फर्जी तरीके से सिमकार्ड एक्टिवेट कर डिजिटल अरेस्ट, स्टाॅक मार्केट, पार्सल स्कैम, आदि तरीके से साइबर क्राइम करने वाले गिरोहों को उपलब्ध कराते थे।फर्जी नाम-पते पर मोबाइल सिम बेचने वाले दिल्ली, यूपी सहित देशभर के 39 डीलर (प्वाइंट ऑफ सेल) के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद सीबीआई इस नेटवर्क के उन सदस्यों को तलाश रही है, जिनके जरियेे फर्जी सिम कंबोडिया, म्यांमार आदि दक्षिण पूर्वी एशिया के देशाें में भेजे जा रहे थे। एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि चित्रकूट में अग्रहरि कम्युनिकेशन के ओमप्रकाश अग्रहरि, चित्रकूट में वोडाफोन आइडिया के टेरिटरी सेल्स एक्जीक्यूटिव शिवदयाल निषाद और कौशांबी के जितेंद्र कुमार, नित्या इंटरप्राइजेस के राहुल पांडेय, पीओएस एजेंट शिवबाब, रवि जनसेवा व स्टूडियो के सुरेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया है। नेटवर्क की तलाश…सीबीआई बड़े खुलासे करने की तैयारी मेंनई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय की टीम सिम भेजने वाले लोगों और माध्यम का पता लगा रही है। जल्द ही इस मामले में सीबीआई बड़ा खुलासा करने की तैयारी में है। बता दें कि सीबीआई ने यूपी के 6 जिलों के 9 मोबाइल सिम डीलर को भी मुकदमे में नामजद किया है, जिनके ठिकानों पर बीती 10 मई को छापे भी मारे गए थे।यह सामान मिलागिरफ्तार लोगों के पास से 31 फोन, 87 फर्जी आधार कार्ड, वोडाफोन आइडिया के 514 प्री एक्टिवेटेड सिम, 505 अनएक्टिवेटेड ब्लैंक सिम, रिलायंस जियो के 30 अनएक्टिवेटेड ब्लैंक सिम, एयरटेल के 26 अनएक्टिवेटेड ब्लैंक सिम आदि बरामद किए गए।साइबर क्राइम करने वालों को उपलब्ध कराते थे सिमइस दौरान सैंकड़ों फर्जी केवाईसी के जरिये सिम बेचने के पुख्ता प्रमाण हाथ लगे थे। जांच में सामने आया है कि ये सिम कंबोडिया, म्यांमार आदि देशों मे भेजे जा रहे थे, जहां साइबर फ्रॉड करने वाले गिरोह इसे ऊंचे दामों पर खरीदते थे। बाद में इनके जरिये मासूम लोगों को डिजिटल अरेस्ट, यूपीआई फ्रॉड, फर्जी बीमा पॉलिसी फ्रॉड करके फंसाकर उनकी जमापूंजी हड़प लेते थे। इस प्रकरण में टेलीकॉम कंपनियों की भूमिका भी पता लगाया जा रहा है।