नवजात बच्चे के खरीद-फरोख्त गैंग का हुआ खुलासा

नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह के एजेंट राजस्थान-गुजरात के हर जिले में फैले हैं। मौका लगने पर या तो बच्चों को चोरी कर लिया जाता है या फिर गरीब परिवारों को लालच देकर उनके बच्चों को खरीदकर आगे मुंहमांगी कीमत पर बेच दिया जाता है।द्वारका जिला के स्पेशल स्टाफ ने नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह से पूछताछ की तो कई चौका देने वाले खुलासे हुए। पुलिस की गिरफ्त में आई यासमीन ने खुलासा किया कि गैंग की सरगना सरोज के कहने पर वह अकेले ही 10 नवजातों को गुजरात और राजस्थान से लाकर दिल्ली-एनसीआर में बेच चुकी है।गिरोह के एजेंट राजस्थान-गुजरात के हर जिले में फैले हैं। मौका लगने पर या तो बच्चों को चोरी कर लिया जाता है या फिर गरीब परिवारों को लालच देकर उनके बच्चों को खरीदकर आगे मुंहमांगी कीमत पर बेच दिया जाता है। आशंका है कि गिरोह अब तक सैकड़ों नवजातों का सौदा करा चुका है।आरोपियों के पास से बरामद चार दिन के नवजात के माता-पिता की पहचान कर ली गई है। गिरोह उसे राजस्थान के उदयपुर से बहुत की कम कीमत में खरीदकर लाया था। पुलिस को सरोज के अलावा गिरोह के तीन-चार अन्य महत्वपूर्ण लोगों की तलाश है।द्वारका जिला पुलिस उपायुक्त अंकित सिंह ने बताया कि तीनों की उत्तम नगर से गिरफ्तारी के बाद इनको अदालत में पेश किया गया। पुलिस के अनुरोध पर अदालत ने यासमीन को पांच दिनों की पुलिस कस्टडी में भेजा जबकि अंजली और जितेंद्र को दो-दो दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया।यासमीन ने बताया कि वह पति नदीम के साथ मोहन गार्डन उत्तम नगर में रहती है। दूसरे राज्यों में बैठे एजेंट सरोज के कहने पर नवजात का इंतजाम कर लेते हैं। सरोज के आदेश पर यासमीन अपने बेटे को लेकर बच्चा लेने जाती है। ऐसे में किसी को शक नहीं होता।बच्चा लाकर उत्तम नगर में रखा जाता है। इस दौरान अंजली और जितेंद्र बच्चा खरीदने वाले ग्राहक की तलाश करते हैं। ऐसे लोगों की तलाश की जाती है जो नवजात के बदले मुंह मांगी रकम दे सकें। बाद में सरोज का आदेश मिलने के बाद अजंली और जितेंद्र उनको बच्चा पहुंचा देते हैं। इसके बदले सरोज पांच से दस लाख वसूल लेती है।छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला है कि एक माह पूर्व ही अंजली जेल से बाहर आई है। करीब एक साल पहले सीबीआई की टीम ने दिल्ली में नवजात की खरीद-फरोख्त के मामले में गिरफ्तार किया था। करीब एक साल अंजली जेल में बंद रही। जमानत पर आने के बाद वह दोबारा सरोज के साथ मिलकर काम करने लगी।

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