पुलिस विभाग के बड़े अफसर के बेटे ने अपने साथियों के साथ सिपाही को चौकी में घुसकर पीटा। इसके बाद भी बड़े अफसर के बेटे का एफआईआर में नाम नहीं। मामले में तीन दोस्तों को आरोपी बनाया गया है।
जरूरी नहीं कि चाचा विधायक हों तभी कानून हाथ में लिया जा सकता है। यदि पिताजी बड़े अफसर हैं, तो भी कानून हाथ में लेकर कानून के लंबे हाथों से बचना मुमकिन है। राजधानी में 29 मई की रात की एक वारदात इसका उदाहरण है, जिसमें बड़े अफसर के बेटे समेत चार युवकों ने अर्जुन चौरसिया नामक सिपाही को स्टेडियम पुलिस चौकी में घुसकर पीटा। गालियां दी। वर्दी फाड़ी और सरकारी संपत्ति को नुकसान भी पहुंचाया।
खास ये है कि पीड़ित सिपाही ने हजरतगंज थाने में जो एफआईआर दर्ज कराई है उसमें तीन ही नामजद हैं। एक अज्ञात है। जटिल से जटिल मामलों में विभाग के बड़े अफसर के बेटे का एफआईआर में नाम नहीं, तीन दोस्तों को बनाया आरोपी का 48 घंटों में खुलासा करने वाली राजधानी की पुलिस करीब दो हफ्ते बाद भी उस अज्ञात युवक की पहचान नहीं कर पाई है।
एफआईआर के अनुसार 29 मई की रात स्टेडियम पुलिस चौकी के पास सफेद रंग की इनोवा में सवार चार युवक आपस में झगड़ा कर रहे थे। सिपाही अर्जुन चौरसिया ने युवकों को टोका। इसी बात पर युवकों ने सिपाही को गालियां दीं। उसे खींचते हुए चौकी पर ले गए। वहां भी मारापीटा और वर्दी फाड़ दी। सूत्र बताते हैं कि चारों युवकों में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का बेटा था। उसी को सिपाही की हरकत सबसे ज्यादा नागवार गुजरी। उसने घटना की सूचना अपने पिता को भी दी।
साहब संग मेम साहब भी पहुंचीं थाने
सूत्र बताते हैं कि सूचना पर हजरतगंज थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और सिपाही को युवकों के चंगुल से बचाया। किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि वह बड़े साहब के बेटे को कुछ कह सके। चारों युवकों को थाने ले जाया गया। बड़े अफसर अपनी पत्नी के साथ सीधे थाने पहुंचे। यहां पुत्रमोह में अफसर की पत्नी ने हंगामा किया। आरोप है कि उन्होंने बेटे को थाने तक लाए जाने पर नाइट अफसर को भला बुरा कहा। अफसर ने किसी तरह अपनी पत्नी को शांत कराया। इसके बाद बेटे और इनोवा गाड़ी को लेकर घर निकल गए।
नशे में थे सभी आरोपी, थाने से जमानत
सिपाही के मुताबिक चारों आरोपी नशे में धुत थे। युवकों ने अपना नाम जयप्रकाश सिंह, अभिषेक चौधरी और सुमित कुमार बताया। एफआईआर के मुताबिक तीनों से जब उनके चौथे साथी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया।
- इस मामले में डीसीपी मध्य आशीष कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि सिपाही से अभद्रता करने के तीनों आरोपियों को निजी मुचलके पर थाने से जमानत दे दी गई थी। चौथे आरोपी के बारे में पड़ताल चल रही है। मामले की विवेचना की जा रही है।
यहां क्यों पीछे रह गई पुलिस ?
- चौथे आरोपी की पहचान के लिए स्टेडियम पुलिस 01 चौकी, आस-पास एवं हजरतगंज थाने के सीसीटीवी फुटेज की जांच क्यों नहीं की गई?
- जिस इनोवा में चारों युवक 02 सवार थे, उसको पहचान अब तक क्यों नहीं की जा सकी?
- सर्विलांस के जरिये तीनों आरोपियों के नामजद चौथे साथी का नाम क्यों नहीं पता किया गया?