हाईकोर्ट ने कहा कि दवा माफिया के चंगुल में फंसा सरकारी अस्पताल, प्राइवेट प्रैक्टिस से जनता की लाशों पर डॉक्टर मुनाफा कमा रहे हैं। मंत्री, सांसद और विधायक मौन हैं। अधिकारी मौज कर रहे हैं, लेकिन अदालत अपनी आंखें नहीं मूंद सकती।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार अफसरों पर जमकर फटकारा। कहा कि दवा माफिया के चंगुल में फंसा सरकारी अस्पताल, प्राइवेट प्रैक्टिस से जनता की लाशों पर डॉक्टर मुनाफा कमा रहे हैं। मंत्री, सांसद और विधायक मौन हैं। अधिकारी मौज कर रहे हैं, लेकिन अदालत अपनी आंखें नहीं मूंद सकती।इस तल्ख टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अदालत ने शुक्रवार को तत्काल सुधार के लिए अफसरों को कड़े निर्देश दिए। न्यायमित्र की ओर से पेश अंतरिम रिपोर्ट सीएम को भेजने का आदेश दिया है। साथ ही प्रमुख सचिव स्वास्थ्य से 29 मई तक जवाबी हलफनामा तलब किया है।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अफसरों फटकार लगाई। कहा कि 48 घंटे में एसआरएन की सूरत न बदली तो अफसर जेल जाने को तैयार रहें। कोई माफी नहीं मिलेगी, अब केवल कार्रवाई होगी। सुनवाई के दौरान डीएम, नगर आयुक्त, स्वरूप रानी अस्पताल के अधीक्षक इंचार्ज, डिप्टी एसआईसी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे। संवादकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से कई निर्देश दिएनगर आयुक्त 48 घंटे के भीतर सीवर लाइन साफ कराएं और अस्पताल परिसर की सफाई सुनिश्चित करें।अधीक्षक इंचार्ज डॉक्टरों की पूरी सूची और उनकी ओपीडी का समय डीएम कार्यालय को मुहैया कराएं। डीएम इसे दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाएं।डीएम एक टीम का गठन करें, जो सरकारी आवास पर या किसी निजी सेटअप में निजी प्रैक्टिस में लिप्त प्रोफेसरों, सहायक प्रोफेसरों और लेक्चररों पर नजर रखे रखे।डीएम यह भी सुनिश्चित करें कि पीने का पानी उपलब्ध हो।पुलिस आयुक्त अस्पताल परिसर में पर्याप्त सुरक्षा गार्ड प्रदान करें, ताकि चिकित्सा दलालों को प्रवेश करने से रोका जा सके।ओपीडी के दौरान चिकित्सा प्रतिनिधियों (एमआर) का प्रवेश सख्ती से प्रतिबंधित किया जाए।मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का परिसर विवाह समारोहों या निजी पार्टियों के लिए नहीं दिया जाएगा।प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य, उत्तर प्रदेश सरकार, एमिकस क्यूरी (न्यायमित्र) की ओर से दायर अंतरिम रिपोर्ट का जवाब प्रस्तुत करें। डिफॉल्ट करने वाले सभी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करें।बढ़ते साइबर अपराध की विवेचना के लिए पुलिस को किया जाए प्रशिक्षितइलाहाबाद हाईकोर्ट ने बढ़ते साइबर अपराध व डिजिटल साक्ष्य इकट्ठा करने की चुनौतियों से निपटने के लिए प्रदेश की अपराध विवेचना पुलिस को तकनीकी प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया है। कहा कि सभी विवेचना अधिकारी चार्जशीट या पुलिस रिपोर्ट पेश करने से पहले, डीजीपी की ओर से जारी सर्कुलर व कोर्ट के दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें।यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकल पीठ ने अलीगढ़ के सुभाष चंद्र व छह अन्य के खिलाफ चल रहे आपराधिक केस कार्यवाही को रद्द करते हुए दिया है। इस मामले में 18 दिन में विवेचना कर पुलिस रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी। कोर्ट ने विवेचना अधिका7री व जिले के शीर्ष पुलिस अधिकारियों की चार्जशीट या पुलिस रिपोर्ट पेश करने में लापरवाही बरतने पर जवाबदेही तय की है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जांच दो माह में की जाए पूरी : हाईकोर्टइलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षक की ओर से प्रबंधक व प्रधानाचार्य पर भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों की जांच दो माह में पूरी करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की पीठ ने रवि सेन नाग की याचिका पर दिया।भदोही स्थित महावीर इंटर काॅलेज बिछियां में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत शिक्षक ने प्रबंधक और प्रधानाचार्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए डीआईओएस और जेडी माध्यमिक को प्रार्थना पत्र दिया। इसकी जांच काफी दिनों से लंबित है। शीघ्र जांच पूरी करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।