शिक्षकों के सोशल मीडिया अकाउंट पर अब प्रशासन की नजर रहेगी। शिक्षकों को राजनीतिक, जातिवादी और सांप्रदायिक विवादों से बचाने के लिए प्रशासन योजना बना रहा है। पहले चरण में शिक्षकों को इस संबंध में जागरूक किया जाएगा। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के सोशल मीडिया अकाउंट पर अब अधिकारियों की नजर रहेगी। शिक्षकों को किसी भी प्रकार के राजनीतिक, जातिवादी या सांप्रदायिक विवादों से बचाने के लिए जिला प्रशासन योजना बना रहा है। डीएम का कहना है कि इसके लिए शिक्षकों को जागरूक किया जाएगा।सोशल मीडिया के बढ़ते दखल से शिक्षा जगत भी अछूता नहीं है। कई बार शिक्षकों द्वारा सोशल मीडिया पर की गई राजनीतिक पोस्ट से विवाद हो जाता है। पिछले दिनों एक विद्यालय के शिक्षक पर ऐसे ही आरोप लगे हैं। प्रशासनिक अधिकारियों से की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि शिक्षक पढ़ाने के बजाय राजनीतिक गतिविधियों में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। फेसबुक लगातार एक पार्टी और नेताओं को लेकर उनकी पोस्ट वायरल हो रही हैं। पार्टी के नेता ने मामले की शिकायत की है। इसी तरह पिछले साल भी ठाकुरद्वारा के एक शिक्षक की शिकायत की गई थी। आरोप लगा था कि शिक्षक राजनीतिक पार्टी के नेताओं के साथ अपने फोटो वायरल कर अपना प्रभाव दिखाने का प्रयास करता है। इसकी वजह से शैक्षणिक माहौल प्रभावित हो रहा है। प्रदर्शन करने पर हुई थी एफआईआरपिछले साल एक शिक्षक पर एफआईआर भी हो चुकी है। उन पर एक प्रदर्शन में शामिल होकर सांप्रदायिक और राजनीतिक एजेंडे में संलिप्त रहने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद शिक्षा विभाग ने उनको निलंबित भी कर दिया था।शिक्षक की किसी राजनीतिक दल में आस्था हो सकती है। यहां तक कि हाईस्कूल तक पढ़ाने वाले एडेड इंटर कॉलेज के शिक्षक चुनाव भी लड़ सकते हैं, लेकिन उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि राजनीति में उनकी अति सक्रियता तो नहीं है और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से पढ़ाई का मूल कार्य तो प्रभावित नहीं हो रहा है। – मेजर डॉ. देवेंद्र सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघसोशल मीडिया पर सक्रिय शिक्षकों को राजनीतिक मामलों से दूर रहना चाहिए। शिक्षक गैर राजनीतिक संघ में ही रह सकते हैं। यदि कोई शिक्षक सोशल मीडिया पर राजनीतिक रूप से टिप्पणी करता है या सक्रिय है, तो वह नियमावली के विरुद्ध है। परिषदीय स्कूलों के शिक्षक इस्तीफा देकर ही राजनीतिक दलों में सक्रिय रह सकते हैं। – सर्वेश शर्मा, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघविद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलवाना प्राथमिकता है। सोशल मीडिया पर शिक्षकों को किसी भी प्रकार की राजनीतिक, सांप्रदायिक या जातिवादी टिप्पणियों से बचने के लिए उन्हें जागरूक किया जाएगा। अभी एक कार्यशाला के आयोजन की योजना बनाई जा रही है। – अनुज सिंह, डीएम